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विश्व हिन्दू परिषद् एक परिचय
विश्व हिंदू परिषद (VHP) की स्थापना 29 अगस्त 1964 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ पर्व पर भारत की
संत शक्ति के आशीर्वाद के साथ हुई थी। विहिप का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, हिंदू धर्म की
रक्षा करना, और समाज की सेवा करना है। भारत के लाखों गांवों और कस्बों में विहिप को एक मजबूत,
प्रभावी, स्थायी, और लगातार बढ़ते हुवे संगठन के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया भर में हिंदू
गतिविधियों में वृद्धि के साथ, एक मजबूत और आत्मविश्वासी हिंदू संगठन धीरे-धीरे आकार ले रहा है।
स्स्वास्थ्य-शिक्षा, आत्म-सशक्तिकरण, आदि के क्षेत्रो में 4277 से अधिक सेवा परियोजनाओं के माध्यम
से विहिप हिंदू समाज की जड़ो को मजबूत कर रहा है। विश्व हिन्दू परिषद् के बढते चरण
विहिप हिंदू समाज में व्याप्त अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन के निरंतर प्रयासों के
माध्यम से, समाज को विमुक्त, और अंतर्निहित हिंदू एकता को पुनर्जाग्रत करने के लिए समाज का कायाकल्प
कर रही है.
विहिप अपने मूल मूल्यों, विश्वासों और पवित्र परंपराओं की रक्षा के लिए श्री रामजन्मभूमि, श्री
अमरनाथ यात्रा, श्री रामसेतु, श्री गंगा रक्षा, गौ रक्षा, हिंदू मठ-मंदिर मुद्दा, ईसाई चर्च द्वारा
हिंदुओं का धर्मांतरण, इस्लामी आतंकवाद, बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ ,जैसे मुद्दों को उठाकर हिंदू
समाज की अदम्य शक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित कर रही है.
विहिप का प्रभाव
हिंदू धर्म के सभी संप्रदायों (धर्मों) के सभी धर्माचार्यों का एक मंच पर एकत्रीकरण ।
हिंदू समाज की सेवा करने की प्रवृत्ति विकसित करने के साथ, सेवा परियोजनाओं की विस्तृत श्रृंखला की
संस्थापना ।
सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में अथक प्रयासो के साथ अपार सफलता।
समाज में हिंदू गौरव और एकता की बढ़ी हुवी अभिव्यक्ति।
हाल के दिनों में अपने मूल हिंदू धर्म में लाखों लोगों की स्वैच्छिक घर वापसी या 'परावर्तन'।