सेवा कुम्भ – 2019-20

विश्व हिन्दू परिषद का गठन 1964 में हुआ। गठन के पश्चात ही विभिन्न कारणों से सेवा कार्यों की शुरुआत हुई। समाज, व्यक्ति व स्थानीय आवश्यक्ताओं के अनुरूप स्थान-स्थान पर छोटे बड़े सभी तरह के कार्य प्रारम्भ हुए।
आज देश के लगभग 90 प्रतिशत राज्यों में व 40 प्रतिशत जिलों तक अपने कार्य पहुँच गये हैं। कुल सेवा केंद्रों और प्रकल्पों की संख्या एक लाख को पार कर चुकी है। हमारा लक्ष्य आगामी 4-5 वर्षों में 1000 जिलों तक पहुंचना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र से लेकर प्रखंड/जिला स्तर तक नियमित बैठकें होती हैं। जिसमे कार्य की प्रगति, व्यवस्था और विस्तार पर विचार होता है। प्रति 5 वर्षों के अंतराल से हर प्रान्त में प्रान्त स्तर पर सेवा कुम्भ कार्यक्रम का आयोजन होता है।
प्रान्त में चलने वाले सेवा कार्यों की झांकी व जानकारी संवलित एक स्मारिका का भी उपस्थित विशिष्ट अतिथि के कर-कमलों द्वारा लोकार्पण होगा। इस तरह की स्मारिका से समाज को प्रान्त में चलने वाले सेवा कार्यों की जानकारी दी जाती है। अपने स्कूल, छात्रावास व बाल कल्याण आश्रमों में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा सांस्कृतिक व अन्य कार्यक्रमों में उनकी दक्षता का प्रदर्शन होता है। विश्व हिन्दू परिषद का सेवा विभाग प्रचार मुखी नहीं है पर इस तरह के कार्यक्रमों से विहिप द्वारा चलाए जा रहे लक्षाधिक कार्यां का एक नमूना साधारण जन-मानस की जानकारी में आता है।
अपना समाज मानता है – “परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीडनम्’’ ही सभी वेद उपनिषदों का सार है। अपने देश में उद्भूत सभी मत, पंथ, सम्प्रदायों के निर्देश भी सेवा आधारित होते है। अतः अपने इस प्राचीनतम राष्ट्र के हर घटक के रक्त कण में सेवा का विचार व्याप्त है। इसी को आधार मानकर विहिप सम्पूर्ण देश में सेवा कार्यों के विस्तार द्वारा समाज की सेवा और सुदृढ़ीकरण में लगा है।
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